आखिर कोई इतना भी निर्दयी कैसे हो सकता है कि किसी मासूम की हत्या कर दे वो भी सिर्फ 1000 रुपये के लिए।
कानपुर के घाटमपुर पुलिस क्षेत्र में नवंबर 2020 में एक 7 साल की मासूम बच्ची की हत्या की गयी थी जिसमें 4 लोग शामिल थे। यह हत्या भी की गई तो सिर्फ 1000 रुपये के लिए क्या किसी की नज़रों में किसी बच्चे की ज़िंदगी इतनी सस्ती हो सकती है।
पूरी कहानी यह है कि घाटमपुर में दो दोस्त थे और उनके चाचा चाची थोड़ी दूरी पर रहते थे चाचा चाची की शादी को पूरे 21 साल हो चुके थे परंतु वे निःसंतान थे। जिसके लिए वे दोनों किसी तांत्रिक के पास गए। जिसने उस दंपत्ति से कहा कि तुम्हारे घर मे भी संतान होगी लेकिन उसके लिए तुम्हें एक मानव बलि देनी होगी।
जिसके बाद उस दंपत्ति ने अपने भतीजे से एक बच्ची के बलि देने की बात कही और उस लड़के को 1000 रुपये दिए। दीवाली की रात को उस पूजा का दिन चुना गया। उन दोनों लड़कों ने मिलकर उस 7 साल की मासूम बच्ची का अपहरण करके उसके शरीर के कई अंगों जैसे जिगर, फेफड़े आदि निकालकर अपने चाचा चाची को दे दिए। जिसके बाद उस दंपत्ति ने उन अंगों को खा लिया।
उस बच्ची के माता-पिता को जब बच्ची हर जगह ढूंढने के बाद भी नही मिली तो उन्होंने उन दोनों लड़को यानि अपने पड़ोसियों पर केस दर्ज करा दिया। जांच के बाद बच्ची की लाश मिली लेकिन उसके शरीर के बहुत से अंग गायब थे। माता-पिता ने इस मामले में अंधविश्वास होने का शक जताया। उन लड़कों से पूछने पर उन्होंने यह तो कबूल किया कि उन्होंने ही इस बच्ची को मारा है पर यह नही बताया कि आखिर क्यों मारा है, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
कुछ दिन रिमांड में रखने के बाद उनमे से एक अंकुल नामक लड़के ने अपनी हिम्मत तोड़ दी जिसके बाद उसने पूरी कहानी पुलिस को बता दी और अब गुनहगार 4 थे। पुलिस ने उस दंपत्ति को भी गिरफ्तार कर लिया क्योंकि चारों ने दिवाली पर एक तांत्रिक (गुप्त) अनुष्ठान के हिस्से के रूप में 7 साल की मासूम लड़की की हत्या कर उसका जिगर और फेफड़ों को निकाला था बाद में उन पर NSA लगा दिया गया।
कानपुर नगर के जिलाधिकारी ने कहा:
“हमने मामले के संबंध में परशुराम और उनकी पत्नी सुनैना समेत चार आरोपियों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लगाया है। एक युवक और उसके साथी ने अपने पड़ोसी की सात साल की एक बच्ची की हत्या कर दी थी, उसके जिगर और फेफड़े निकाले थे और उन्हें अपने चाचा और चाची को दीवाली पर एक तांत्रिक (गुप्त) अनुष्ठान के हिस्से के रूप में खाने के लिए दिया था, ताकि नि:संतान दंपत्ति के बच्चे हो सकें।”
युवक अंकुल ने कबूल किया कि “उसने नशे की हालत में अपने दोस्त की मदद से लड़की की हत्या की थी। उसने यह भी बताया कि उसके चाचा और चाची ने उन्हें 1,000 रुपये दिए और उन्हें अपने पड़ोसी की सात साल की बेटी का अपहरण करने और उसकी बलि देने और दिवाली की रात उसके महत्वपूर्ण अंगों को लाने के लिए कहा क्योंकि उनका मानना था कि यह एक शुभ समय है।”
पुलिस ने कहा कि मानव बलि इसलिए दी गई, ताकि उनकी शादी के 21 साल बाद भी संतानहीनता की समस्या का समाधान हो सके।
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